लेखनी कहानी -06-Sep-2022... रिश्तों की बदलतीं तस्वीर..(14)
बात भले ही छोटी सी थीं.... लेकिन विचारणीय थीं की क्या सच में उम्र के उस पड़ाव में जहाँ रिश्तो को सबसे ज्यादा साथ और समय देने की जरूरत होतीं हैं.... ऐसे में क्या उन्हें वृद्धाश्रम में छोड़ देना सही विकल्प हैं...?
खैर.... लौटते हैं कहानी पर....
रमादेवी ने शायद अपनी किस्मत से अभी तक हार नहीं मानी थीं... इसलिए सोचते सोचते ही उन्होंने कुछ ऐसा फैसला लिया... जिसका अंजाम उनके लिए नए आयाम खोल सकता था...।
वही दूसरी ओर...
रात बिती और सवेरा हुआ...। अपने प्लान के मुताबिक सुजाता ने आज सलोनी को उठाया ही नहीं...। विनी जो उनके इस प्लान में शामिल थीं... वो जल्दी उठकर तैयार होकर बैठी थीं...। सुनील अपने काम पर जा चुका था...। तकरीबन साढ़े दस बजे सलोनी उठी.... रोजमर्रा के कामों से अभी वो निवृत्त हुई ही थीं की विनी ने कहा :- उठ गई महारानी.... कबसे तुझे उठा रही हूँ.... चल अब देर मत कर ओर जल्दी से तैयार होकर आ...।
अरे... क्या हुआ.... किस बात की जल्दी हैं... ! आफिस से छुट्टी ली हुई हैं ना.... फिर ....
ज्यादा सवाल जवाब मत कर.... तु बस जल्दी तैयार हो.... तेरे लिए एक सरप्राइज हैं...।
सरप्राइज.... कैसा सरप्राइज....?
अब कैसा.... क्यूँ... क्या.... बताऊंगी तो सरप्राइज कैसे रहेगा मैडम.... तुझे जितना कहा हैं उतना कर... जल्दी से तैयार होकर आ..।
अरे लेकिन बात क्या हैं कुछ तो बता...।
तुझे सरप्राइज चाहिए की नहीं...! बोल.... नहीं चाहिए तो मैं चलीं जाती हूँ यहाँ से..।
अरे... नाराज क्यूँ होती हैं...। जा रही हूँ... बस दस मिनट इंतजार कर....।
सलोनी अपने कपड़े लेकर नहाने चलीं गई...। सुजाता अपने दैनिक कामों में लगी हुई थीं... लेकिन उसे अंदर ही अंदर डर भी सता रहा था की कहीं सलोनी को पता ना चल जाए....। वो बार बार विनी को रिक्वेस्ट कर रहीं थीं की सब संभाल ले...। विनी अपने बनाए प्लान से पूरी तरह आश्वस्त थीं...। कुछ देर में ही सलोनी तैयार होकर विनी के पास आई...।
कितना टाइम लगाती हैं तु यार.... चल अभी जल्दी कर.. ।
अरे लेकिन हम जा कहाँ रहें हैं... कुछ बताएगी...!
तु अब एक सवाल ओर नहीं करेगी.... पहले ही बहुत देर कर दी हैं.. चुपचाप मेरे साथ चल बस..।
लेकिन.... विनी.... वो... मुझे... दादी से तो....
विनी ने सलोनी की बांह पकड़ी ओर जबरदस्ती उसे घर से बाहर की ओर लेकर जाते हुवे बोली :- अभी एक मिनट भी ओर देरी नहीं चाहिए मुझे समझी....।
बाहर की ओर आकर उसने एक रिक्शा रोकी ओर उसमें बैठकर अपनी तय की हुई जगह पर चल दी...।
अब तक सब वैसा ही हो रहा था जैसा विनी ने सोचा था.... .।
वही दूसरी ओर..... रमादेवी का उस आश्रम में पहला दिन था....। रमादेवी कमरे के कोने में चुपचाप बैठी थीं.... तभी वहाँ एक चौबीस पच्चीस वर्ष की एक महिला भीतर आई ओर रमादेवी के पास आकर उनसे वहाँ आने की वजह पूछने लगी....।
रमादेवी ने सारी सच्चाई उस औरत को बता दी ओर कहा :- सच कहूं तो मुझे यहाँ क्या कहीं भी रहने में कोई परेशानी नहीं हैं.... लेकिन जातें जातें मैं जो अपने बेटे से कहकर आई थीं... वो मुझे करना हैं...।
मैं समझ रहीं हूँ मांजी.... आप क्या कहना चाहतीं हैं...। यहाँ रहकर भी आप बहुत कुछ कर सकते हैं....। बस मुझे ये बताइये क्या आपको किसी चीज़ का कोई अनुभव हैं....और किस काम को करने में आप बेहतर महसूस करेंगी..?
क्या मुझे बच्चों की देखभाल करने का कोई काम मिल सकता हैं.... मैं एक समय में छोटे बच्चों को संभालने का काम कर चुकी हूँ...।
अरे वाह... सच.... ऐसा ही होगा मां जी..... । अभी आप तुरंत नहा धोकर तैयार हो जाइये.... फिर फटाफट चाय नाश्ता किजिए.... उसके बाद मैं आपको कहीं लेकर चलतीं हूँ..।
ठीक है बेटा....। रमादेवी मुस्कुराती हुई नहाने चल दी...।
रमादेवी के जीवन की नई शुरुआत जल्द ही.... अगले भाग में पढ़े..।
Gunjan Kamal
26-Sep-2022 05:50 PM
बेहतरीन
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Mithi . S
24-Sep-2022 06:02 AM
Bahut khub 👌
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shweta soni
23-Sep-2022 08:35 AM
Bahut khub 👌
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